
बौद्धिक संपदा अधिकार पर व्याख्यान का हुआ आयोजन
प्राचार्य डॉ. शैल जोशी के कुशल मार्गदर्शन में विधि महाविद्यालय के विद्यार्थियों के
📝 खरगोन से अनिल बिलवे की रिपोर्ट…
बौद्धिक प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत विधि विद्यार्थियों के लिये एक “बौद्धिक संपदा अधिकार: नवाचार और संरक्षण विषयक पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया। व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में प्रो. ओमनारायण शुक्ला चमेली देवी इंस्टीट्युट ऑफ लॉ के प्रोफेसर रहे। श्री शुक्ला ने अपने व्याख्यान में कहा कि आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं, जो हमारे समाज, अर्थव्यवस्था और नवाचार के लिए आधारशिला है। बौद्धिक संपदा अधिकार केवल एक कानूनी अवधारणा नहीं है, बल्कि यह मानव रचनात्मकता और प्रगति का संरक्षक है। पेटेंट: नई खोजों और आविष्कारों के लिए। कॉपीराइट: साहित्य, संगीत, फिल्मों और कला के लिए। ट्रेडमार्क: ब्रांड पहचान और लोगो के लिए। ट्रेड सीक्रेट: गोपनीय व्यावसायिक जानकारी के लिए। संक्षेप में बौद्धिक संपदा अधिकार समाज में संतुलन बनाए रखता है। रचनाकार को पुरस्कार और समाज को प्रगति।


प्रो. निशांत दुबें ने कहा कि भारत में IPR का इतिहास गहरा है, लेकिन हाल के वर्षों में इसमें तेजी आई है। 2016 में राष्ट्रीय IPR नीति लाई गई, जिसका उद्देश्य ‘क्रिएटिव इंडिया, इनोवेटिव इंडिया’ बनाना था। स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए पेटेंट शुल्क में छूट दी जा रही है। विभागाध्यक्ष प्रो. चंद्र भान त्रिवेदी ने समापन करते हुए कहा कि बौद्धिक संपदा अधिकार केवल एक कानून नहीं, बल्कि एक दर्शन है। यह हमें सिखाता है कि रचनात्मकता की कीमत है,ल और उसे सम्मान देना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि अपनी रचनाओं को संरक्षित करें, दूसरों की रचनाओं का सम्मान करें और इस प्रणाली को मजबूत करने में योगदान दें। आइए, हम सब मिलकर एक ऐसा भारत बनाएँ, जो नवाचार और रचनात्मकता का केंद्र हो। कार्यक्रम का संचालन प्रो. तृप्ति जायसवाल ने किया। व्याख्यान में मुख्य रूप से, डॉ. विपिन सोनी, आदि प्रोफेसर उपस्थित थे। डॉ. दिग्विजय सिंह मण्डलोई द्वारा कार्यक्रम के अंत में आभार प्रकट किया गया।